नई दिल्ली। मोबाइल सेवा क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियों वोडाफोन और आइडिया ने विलय की घोषणा कर दी है। समूचे दूरसंचार बाजार के साथ ही एक अरब से ज्यादा मोबाइल ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं पर भी इसका असर पड़ेगा। टेलीकॉम बाजार में रिलायंस जियो के आने से शुरू हुए प्राइस वॉर का लाभ ग्राहकों को मिला। अब इन दोनों के एक होने से इनके मजबूत नेटवर्क का फायदा बेहतर फोन सेवाओं के तौर पर मिलने की उम्मीद है।
ब्रिटिश फर्म वोडाफोन की भारतीय सब्सिडियरी और एवी बिड़ला समूह की कंपनी आइडिया के विलय के बाद यह पूंजी व ग्राहक संख्या के आधार पर देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी होगी। समूह के प्रमोटर कुमार मंगलम बिड़ला नई कंपनी के चेयरमैन होंगे। इस 23 अरब डॉलर के विलय सौदे की खबर से आइडिया सेलुलर का शेयर एक समय करीब 15 फीसद का गोता लगा गया। हालांकि बाद में एनएसई पर यह 9.62 फीसद की गिरावट के साथ 97.70 रुपये पर बंद हुआ।
वोडाफोन व आइडिया की तरफ से जारी बयान से साफ है कि पूरी विलय प्रक्रिया बेहद जटिल होने वाली है। शायद इसीलिए दोनों कंपनियों ने इसके दो वर्षो में पूरा होने की बात कही है। विलय बाद बनने वाली कंपनी में वोडाफोन की 45.1 और आइडिया की 26 फीसद हिस्सेदारी होगी। आइडिया की हिस्सेदारी आगे बढ़ाई जाएगी। अगर यह हिस्सेदारी चार वर्षो में नहीं बढ़ पाती है, तो फिर वोडाफोन की इक्विटी घटाकर दोनों के हिस्से को समान स्तर पर लाया जाएगा। नई कंपनी में दोनों पक्षों का वोटिंग अधिकार बराबर होगा।
ग्राहकों पर पड़ेगा असर
हाल के दिनों में इन कंपनियों के बीच डाटा कीमतों को घटाने के लेकर होड़ मची है। इसमें स्थिरता आने के आसार हैं। दो बड़ी कंपनियों के एक होने से प्रतिस्पद्र्धा घटेगी। हां, इन दोनों कंपनियों के मौजूदा ग्राहकों को एक दूसरे के बेहद बड़े नेटवर्क का फायदा जरूर मिलेगा। बड़ी कंपनी व नेटवर्क होने की वजह से ये अपने ग्राहकों को ज्यादा आकर्षक स्कीमों के साथ बनाए रख सकती हैं।
एयरटेल के लिए तगड़ी चुनौती
विलय से सबसे बड़ा असर एयरटेल पर पड़ेगा जो अभी 23.5 फीसद हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। वोडाफोन के पास 20.5 करोड़ ग्राहक हैं। देश के मोबाइल सेवा बाजार में उसकी हिस्सेदारी 18.16 फीसद है। आइडिया के 19.05 करोड़ ग्राहक हैं। उसकी बाजार हिस्सेदारी 17 फीसद के करीब है। यानी नई कंपनी की 35 फीसद बाजार हिस्सेदारी एयरटेल से काफी ज्यादा होगी।
सलाहकार फर्म सीएलएसए का कहना है कि विलय बाद संयुक्त कंपनी का पूंजी आकार 80 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। सक्रिय ग्राहकों के आधार पर बाजार हिस्सेदारी 40 फीसद होगी। इसके पास देश में आवंटित स्पेक्ट्रम का एक चौथाई हिस्सा होगा। यानी देश की मौजूदा दिग्गज एयरटेल के लिए हालात चुनौतीपूर्ण होंगे। रिलायंस जियो की वजह से पुराने मोबाइल ऑपरेटरों के सामने अनिश्चित माहौल बना हुआ है। विलय बाद गठित नई कंपनी जियो की चुनौतियों का ज्यादा मजबूती से सामना कर सकेगी। जियो की फ्री सेवा के बाद एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया समेत सभी मोबाइल ऑपरेटरों को शुल्कों में भारी कमी करनी पड़ी है। इससे इनकी कमाई व मुनाफे पर असर पड़ा है। वोडाफोन की पकड़ मेट्रो व बड़े शहरों में अच्छी है। आइडिया ने छोटे शहरों मे ग्राहकों का बड़ा आधार तैयार किया है। एयरटेल को इनकी संयुक्त ताकत का मुकाबला करना होगा। कई जानकार इस विलय को भारतीय बाजार में वोडाफोन की घट रही रुचि के तौर पर भी देख रहे हैं। भारी कर्ज में डूबी इस ब्रिटिश कंपनी के हालात ठीक नहीं हैं।
ब्रिटिश फर्म वोडाफोन की भारतीय सब्सिडियरी और एवी बिड़ला समूह की कंपनी आइडिया के विलय के बाद यह पूंजी व ग्राहक संख्या के आधार पर देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी होगी। समूह के प्रमोटर कुमार मंगलम बिड़ला नई कंपनी के चेयरमैन होंगे। इस 23 अरब डॉलर के विलय सौदे की खबर से आइडिया सेलुलर का शेयर एक समय करीब 15 फीसद का गोता लगा गया। हालांकि बाद में एनएसई पर यह 9.62 फीसद की गिरावट के साथ 97.70 रुपये पर बंद हुआ।
वोडाफोन व आइडिया की तरफ से जारी बयान से साफ है कि पूरी विलय प्रक्रिया बेहद जटिल होने वाली है। शायद इसीलिए दोनों कंपनियों ने इसके दो वर्षो में पूरा होने की बात कही है। विलय बाद बनने वाली कंपनी में वोडाफोन की 45.1 और आइडिया की 26 फीसद हिस्सेदारी होगी। आइडिया की हिस्सेदारी आगे बढ़ाई जाएगी। अगर यह हिस्सेदारी चार वर्षो में नहीं बढ़ पाती है, तो फिर वोडाफोन की इक्विटी घटाकर दोनों के हिस्से को समान स्तर पर लाया जाएगा। नई कंपनी में दोनों पक्षों का वोटिंग अधिकार बराबर होगा।
ग्राहकों पर पड़ेगा असर
हाल के दिनों में इन कंपनियों के बीच डाटा कीमतों को घटाने के लेकर होड़ मची है। इसमें स्थिरता आने के आसार हैं। दो बड़ी कंपनियों के एक होने से प्रतिस्पद्र्धा घटेगी। हां, इन दोनों कंपनियों के मौजूदा ग्राहकों को एक दूसरे के बेहद बड़े नेटवर्क का फायदा जरूर मिलेगा। बड़ी कंपनी व नेटवर्क होने की वजह से ये अपने ग्राहकों को ज्यादा आकर्षक स्कीमों के साथ बनाए रख सकती हैं।
एयरटेल के लिए तगड़ी चुनौती
विलय से सबसे बड़ा असर एयरटेल पर पड़ेगा जो अभी 23.5 फीसद हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। वोडाफोन के पास 20.5 करोड़ ग्राहक हैं। देश के मोबाइल सेवा बाजार में उसकी हिस्सेदारी 18.16 फीसद है। आइडिया के 19.05 करोड़ ग्राहक हैं। उसकी बाजार हिस्सेदारी 17 फीसद के करीब है। यानी नई कंपनी की 35 फीसद बाजार हिस्सेदारी एयरटेल से काफी ज्यादा होगी।
सलाहकार फर्म सीएलएसए का कहना है कि विलय बाद संयुक्त कंपनी का पूंजी आकार 80 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। सक्रिय ग्राहकों के आधार पर बाजार हिस्सेदारी 40 फीसद होगी। इसके पास देश में आवंटित स्पेक्ट्रम का एक चौथाई हिस्सा होगा। यानी देश की मौजूदा दिग्गज एयरटेल के लिए हालात चुनौतीपूर्ण होंगे। रिलायंस जियो की वजह से पुराने मोबाइल ऑपरेटरों के सामने अनिश्चित माहौल बना हुआ है। विलय बाद गठित नई कंपनी जियो की चुनौतियों का ज्यादा मजबूती से सामना कर सकेगी। जियो की फ्री सेवा के बाद एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया समेत सभी मोबाइल ऑपरेटरों को शुल्कों में भारी कमी करनी पड़ी है। इससे इनकी कमाई व मुनाफे पर असर पड़ा है। वोडाफोन की पकड़ मेट्रो व बड़े शहरों में अच्छी है। आइडिया ने छोटे शहरों मे ग्राहकों का बड़ा आधार तैयार किया है। एयरटेल को इनकी संयुक्त ताकत का मुकाबला करना होगा। कई जानकार इस विलय को भारतीय बाजार में वोडाफोन की घट रही रुचि के तौर पर भी देख रहे हैं। भारी कर्ज में डूबी इस ब्रिटिश कंपनी के हालात ठीक नहीं हैं।
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