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Showing posts from December, 2016

इसरो के बारे में रोचक तथ्य

इसरो के बारे में रोचक तथ्य इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने जो किया वो काबिल-ए-तारीफ है। इसरो ने वो कर दिखाया जो बहुत देशों ने सोचा होगा कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए असंभव है। कुछ समय पहले हमने NASA की पोस्ट डाली थी तो उसी समय से लोगो के कमेंट आ रहे थे कि ISRO के बारे में भी बताएँ। आज हम आपको भारत की अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी ISRO के बारे में बहुत विस्तार से बताने वाले है… 1. ISRO की Full From है “ Indian Space Research Organisation ”. इसका हेडक्वार्टर बेंगलूर में है यह अंतरिक्ष विभाग द्वारा कंट्रोल की जाती है जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजता है। भारत में इसरो के कुल 13 सेंटर है। 2. ISRO की स्थापना डाॅ. विक्रम साराभाई ने सन् 1969 में स्वतंत्रता दिवस के दिन की थी। इन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी माना जाता है। 3. अमेरिका, रूस , फ्रांस , जापान , चीन समेत भारत दुनिया के उन छः देशों में शामिल है जो अपनी भूमि पर सैटेलाइट बनाने और उसे लाॅन्च करने की क्षमता रखते है। 4. भारत के लिए 86 satellites लांच करने के अलावा ISRO ने अभी तक 21 अलग-अलग देशों के लिए भी 7

वेतन आयोग

.27 लाख कर्मचारी, शिक्षकों और पेंशनरों को सातवें वेतन का तोहफा     - जनवरी 2017 के वेतन के साथ फरवरी से मिलेगा बढ़ा हुआ  - कैबिनेट फैसले का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया ऐलान  - पहली जनवरी 2016 से लागू माना जाएगा सातवां वेतन - एरियर 50 फीसदी 2017-18 और 50 फीसदी 2018-19 में मिलेगा - बढ़ा हुआ वेतन देने से सरकार पर पड़ेगा 17,958.20 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ - मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैबिनेट के फैसले का किया ऐलान - फायदे वाले लाखों कर्मचारी ही सपा की बहुमत की सरकार दोबारा बनवाएंगे विशेष संवाददाता  -- राज्य मुख्यालयप्रदेश के करीब 27 लाख कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों, पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों को राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के समान सातवें वेतन का तोहफा दिया है। सातवां वेतन जनवरी 2017 के वेतन के साथ फरवरी से मिलेगा। इस फैसले से सरकार पर 17,958.20 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ आएगा। यह फैसला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में किया गया है। कैबिनेट के बाद मुख्यमंत्री ने खुद इस फैसले का ऐलान किया। साथ ही कहा कि इससे जिन ला

रोचक तथ्य

1. कछुए के दाँत नहीं होते 2. हम जो साँस लेते हैं उस ऑक्सीजन में करीब 0.0005% मात्रा में हीलियम मिली होती है 3. उड़ने वाले गुब्बारों में हीलियम गैस ही भरी होती है, ये गैस हवा से भी ज्यादा हल्की होती है, इसलिए ऊपर की ओर उड़ती है 4. ऊँट भी इंसानों की तरह थूक सकते हैं 5. शुतुरमुर्ग 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ लगा सकते हैं 6. सूअर दुनियां के चौथे सबसे समझदार जानवर हैं 7. डायनासोर घास नहीं खाते थे, उनके ज़माने में घास भी नहीं हुआ करती थी 8. मगरमच्छ की जीभ उसके मुँह के ऊपरी हिस्से से चिपकी हुई होती है, ना ही मगरमच्छ की जीभ हिलती है और ना ही वो चबाने में मदद करती है लेकिन उससे बनने वाली लार स्टील और काँच तक को गला देती है 9. फ़्रांस की राजधानी पेरिस में जितने व्यक्ति हैं उससे कहीं ज्यादा संख्या में कुत्ते हैं 10. न्यूज़ीलैंड ऐसा देश है जहाँ 40 मिलियन लोग हैं और करीब 70 मिलियन भेड़ हैं 11. मेंढक जब किसी कीड़े को सटकता है तो उसकी आँखें बंद हो जाती हैं 12. शतरंज का अविष्कार भारत में ही हुआ 13. साँप सीढ़ी वाला गेम 13 वीं शताब्दी में संत ज्ञानदेव ने बनाया 14. दुनियां में सबसे ज्या
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव श्रावस्ती दौरे के दौरान अचानक कार्यक्रम स्थल पर बने स्कूल में जा पहुंचे।*.मुख्यमंत्री अखिलेश ने बच्चों से किताब पढ़वाई और बच्चों द्वारा किताब न पढ़ पाने पर उन्होंने आला अधिकारियों के सामने ही बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहीन फातिमा की जमकर क्लास लगायी।*.सीएम के औचक निरीक्षण में एक बच्चे को छोड़कर कोई भी किताब से हिंदी न पढ़ पाया।*.जिसके बाद सीएम ने सभी सम्बंधित अधिकारियों पर अपना गुस्सा निकाला।*.अपने श्रावस्ती दौरे पर एक प्राइमरी स्कूल में औचक निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव काफी निराश हो गये।*.उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई।*.मुख्यमंत्री ने बीएसए से उनकी योग्यता पूछी, महिला बीएसए ने जवाब दिया कि, एम.कॉम।*.जिसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि, महिला हैं और एम.कॉम हैं, फिर भी अनदेखी कर रही हैं।*.बेसिक शिक्षा अधिकारी से मुख्यमंत्री ने बच्चों को क्या पढ़ाया जाता है पूछा, साथ ही कहा कि अगर पढ़ाया जाता है, तो कुछ पढ़वा कर दिखाइए।*.इसके बाद मुख्यमंत्री ने बीएसए से कहा कि, सरकार पर कृपा करें, इन बच्चों की वजह से ही आपको वेतन मि
                  MOTHERS LOVE { CARING}                           Heera was a milkmaid. She lived in the kingdom of Shivaji . Everyday, She used to supply milk to the people living in The Raigarh Fort. Heera used to go into the fort late in the afternoon and return home at the foot of the fort, before it was dark she used to be in a hurry to return home because of her little babby whom she left at Home. The people of the kingdom used to celebrate the full moon day of the Ashwin month. The people Inside the fort Prayerd on his day. The day was celebrate with a lot of pomp and show. That evening Heera while watching the celebration got late and the gates of the fort were closed. She could not get out of the fort. Heera was worried about her little baby at home. She knew her baby would be crying of hunger. She ran down the steep hill without worrying   that she might fall down and get hurt. She got deep cuts and bruises. She was bleeding by the time she reached the foothills. She
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 11 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में जायेंगे उनकी परिवर्तन रैली है।।
मंगल पर पहली इंसानी बस्ती बसाने के काम को धक्का एक ब्रिटिश-डच कंपनी मंगल पर इंसान को बसाने की कोशिशों में जुटी थी. उसकी योजनाओं को बड़ा धक्का पहुंचा है. कंपनी ने कहा कि उसकी परियोजना में कई साल की देरी होगी. इस संस्था ने मंगल पर इंसानों की बस्ती बसाने का काम शुरू कर दिया था. उसका कहना था कि 2026 में उसका पहला मानव मिशन मंगल पर पहुंच जाएगा. लेकिन अब कंपनी ने कहा है कि यह काम पूरा होने में 2031 तक का वक्त लगेगा. मानव मिशन से पहले मानव रहित मिशन भेजा जाना था. इसकी भी तय तारीख चार साल खिसका दी गई है. पहले यह मिशन 2018 तक मंगल पर पहुंचना था. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वित्तीय दिक्कत होने वाली है. मिशन के लिए जरूरी अंतरिक्ष यान मार्स वन की खरीद में सहयोग कर रही स्विट्जरलैंड की कंपनी इनफिन इनोवेटिव फाइनैंस एजी ने अपनी नई वित्तीय रणनीति पेश की है. यह ऐलान दिसंबर के पहले हफ्ते में किया गया जिसके बाद मंगल पर बस्ती बसाने का मिशन कई साल आगे खिसका दिया गया.
फ्रैंकफर्ट में दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले में घूमते हुए एक भारतीय के तौर पर गर्व की जरा भी अनुभूति नहीं होती. दर्जनों लेखक. सैकड़ों प्रकाशक. हजारों किताबें. और लाखों दर्शक. लेकिन ऐसा कुछ नहीं जिसे देखकर आप एक भारतीय होने के नाते दूसरों को दिखा सकें. पूरे मेले में आप ऐसा कुछ खोजते हुए घूमते रहते हैं. जो कुछेक भारतीय प्रकाशक हैं, उनके पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए आप अंदर जाना चाहें. ज्यादातर के पास तो बच्चों की किताबें थीं. कैसी किताबें? लर्न अल्फाबेट्स. लर्न टेबल्स. मैप्स ऑफ द वर्ल्ड. और बच्चों के लिए जिस तरह का साहित्य यूरोप या पश्चिम में रचा जा रहा है, उसके मुकाबले वे किताबें कहीं भी नहीं ठहरतीं. इसलिए आप यही सोचते हुए वहां से गुजर जाते हैं कि ये किताबें यहां क्यों हैं. इस पुस्तक मेले में अधिकतर बड़े भारतीय प्रकाशक आए ही नहीं. और सही ही किया. उनके पास ऐसा क्या है जिसे दुनिया का पाठक पढ़ना चाहेगा? अंग्रेजी में अगर अच्छा लिखने वाले भारतीय हैं तो उन्हें भारतीय प्रकाशकों की जरूरत ही कहां है. और जो हिंदी में अच्छा लिखा जा रहा है, उसे दुनिया की बाकी जबानों तक पहुंचाने की कोई कोशि
भारत और पाकिस्तान अंग्रेजों की गुलामी से आजादी का जश्न मना रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को पाकिस्तान में आजादी के दिन के रूप में मनाया जाता है। आजादी के बाद से ही भारत-पाकिस्तान बॉर्डर समस्या के चलते कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। लेकिन कई सरहदें ऐसी हैं जो बताती हैं कि भारत और पाक आज भी एक जैसे ही हैं।